तीन दुआएं ख़ास तौर पर क़ुबूल की जाती हैं ।
हज़रत अबू हुरैरह रदियल्लाहु तआला अन्हू से रिवायत है कि नबी करीम (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया : तीन दुआएं ख़ास तौर पर क़ुबूल की जाती हैं , जिनके क़ुबूल होने में कोई शक नहीं । (औलाद के हक़ में) बाप की दुआ , मुसाफ़िर की दुआ और मज़्लूम की दुआ ।
(अबूदाऊद)